Cyber Crime Update: तकनीक के साथ हमारी सुविधाएं बढ़ी हैं, लेकिन एआई (Artificial intelligence) से साइबर ठगों का नया हथियार बन गया है। देशभर में एआई (AI) से ठगी के मामले सामने आ रहे हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से साइबर ठग आवाज और चेहरे की कॉपी बनाते हैं और रुपये मांगते हैं। सतर्क रहकर किसी के पैसे ट्रांसफर से पहले पहचान की पुष्टि करना जरूरी है।
Artificial intelligence की मदद से साइबर ठग आपके दोस्त या रिश्तेदारों के नंबर से नहीं कॉल कर सकते हैं, इसलिए अजनबी नंबर से कॉल पर सतर्क रहें और पहचान की पुष्टि करें। इस सतर्कता से हम सभी अपनी सुरक्षा को बढ़ा सकते हैं, ताकि हम साइबर ठगों की शिकार न बनें।
एक सर्वे से पता चला 85% ठगी के शिकार
एक निजी संस्था ने एआई (Artificial intelligence) का उपयोग करके ठगी के मामलों का अंतरराष्ट्रीय सर्वे किया है, जिसमें 4000 लोगों पर सर्वे किया गया था। इस सर्वे के नतीजे चौंकाने वाले हैं, क्योंकि यह प्रतिशतन 85 दर्जे से अधिक लोगों को ठगी का शिकार बताते हैं।
इसमें से 2000 लोगों से बड़ी रकम की वसूली की गई, जबकि 46 प्रतिशत मामलों में माता-पिता बनकर, 34 प्रतिशत मामलों में पत्नी और 20 प्रतिशत मामलों में बच्चे बनकर पीड़ितों से कॉल करके धन वसूला गया।
इससे साबित होता है कि साइबर ठगी बढ़ रही है और लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है, खासकर जब अजनबी नंबर से कॉल आता है। सरकारों और संगठनों को इस खतरे के खिलाफ कठिन कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि लोग सुरक्षित रह सकें।
ठगी से बचाव के लिए दिल्ली पुलिस के कदम
हर जिले में साइबर थाना मौजूद, वहां भी दे सकते हैं शिकायत। पुलिस ने साइबर ठगी के लिए आईएफएसओ का गठन किया है और स्कूल, कॉलेज, और अन्य संस्थानों में साइबर क्राइम के प्रति जागरूकता की क्लासेस आयोजित की हैं।
बचाव के लिए निम्नलिखित कदम उठाएं
- इस तरह की कॉल को क्रॉस चेक करें, बिना जांच-पड़ताल के किसी को पैसा न भेजें।
- ऐसे मामलों में आरोपी रिश्तेदार या करीबी के नंबर से कभी कॉल नहीं करेगा, यदि ऐसा हो तो सावधान हो जाएं।
- किसी अनजान मोबाइल नंबर, क्यूआर कोड या बैंक खाते में रकम बिल्कुल भी न भेजें।
- ठगी का शिकार हो जाए तो 1930 पर कॉल कर शिकायत दें या cybercrime.gov.in पर शिकायत करें।
- नजदीकी साइबर थाने में भी शिकायत की जा सकती है।
साइबर ठगी के बढ़ते मामलों के बावजूद, सतर्कता और जागरूकता से आप खुद को सुरक्षित रख सकते हैं। इसके अलावा, सरकारों और साइबर सुरक्षा संगठनों को भी इस खतरे के खिलाफ कठिन कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि लोग सुरक्षित रह सकें।